जौन एलिया / Jaun elia जन्म -14 dec 1931(अमरोहा, भारत) मृत्यु -08 nov 2002 (कराची पाकिस्तान ) वास्तविक नाम -सैय्यद हुसैन जौन असगर नकवी मैं जो हूँ जौन एलिया हूँ ज़नाब मेरा बेहद लिहाज़ कीजियेगा! |
जौन एलिया शायरी की दुनिया का वो नाम जिसने अपने क़लाम से दुनिया भर में लोगों के दिलों में एक अलग ही जगह बनाई है! जौन एलिया का शेर कहने का एक अलग और अनोखा अंदाज़ जो सुनने वालों के मन में एक ललक पैदा करता था या यूँ कहें कि सुनने वालों को अपनी ओर खींचता है, जौन एलिया ने जिस तरह की ज़िन्दगी जी वह उनकी शायरी और गज़लों में दिखाई देती है!
जौन शायरी की रिवायतों से अलग हट कर शायरी करने के लिए जाने जाते रहे हैं और यही अंदाज़ लोगों को जौन के क़रीब लाता है!
जीवन-
जौन एलिया भारत के उत्तरप्रदेश के अमरोहा में पैदा हुए,पले बढ़े शिक्षा और तालीम हासिल की जौन ने कई भाषाओं में डिग्रीयाँ प्राप्त की, संस्कृत, अंग्रेजी, हिब्रु, आदि भाषाओं का जौन को अच्छा ज्ञान था! जौन एलिया की ज़िंदगी में मोड़ तब आया जब भारत पकिस्तान का बँटवारा हुआ!
बँटवारे के बाद उनके बड़े भाई पाकिस्तान जा चुके थे और माँ -बाप के देहांत के बाद जौन को भी 1956 में ना चाहते हुए भी पकिस्तान जाना पड़ा, पकिस्तान में भी अमरोहा को याद करते रहे!
जौन एलिया बचपन से ही आशिक़ाना मिजाज़ के थे, वे अक़सर अपने ख़्याल में अपनी महबूबा से बातें करते रहते थे, जवानी के दिनों में एक फ़ारहा नाम की लड़की से इश्क़ किया जिसे वे ज़िंदगी भर याद करते रहे, मग़र जौन ने कभी भी उस लड़की से इश्क़ का इज़हार नहीं किया, वे इज़हार करने को एक ज़लील हरक़त मानते थे!
1970 में जौन ने एक मशहूर जर्नलिस्ट 'निगाऱ जहिदा हिना'से शादी कर ली और ख़ुशी से ज़िन्दगी बसर करने लगे, पर दोनों की सोच और ख़याल में फ़र्क ने दोनों में अनबन पैदा की और धीरे धीरे उनके रिश्ते बिगड़ते चले गए! आख़िर में 3 बच्चों की पैदाइश के बाद दोनों में तलाक़ हो गया!
अब जौन ज़िन्दगी में अकेले रह गए थे काफ़ी शराब, सिगरेट का सहारा लिया और अपने ग़म अपने दर्द के साथ ज़िंदगी गुज़ारने लगे, धीरे धीरे जौन की तबियत भी बिगड़ने लगी और आख़िरी में फेफड़े की बीमारी की वजह से जौन की मौत भी हो गयी !
जौन एलिया बड़े शायर इसलिए नहीं थे कि उनकी शायरियाँ शायरी की रिवायतों की तमाम कसौटियों पर खरी उतरती हैं बल्कि इसलिए हैं क्योंकि उनकी शायरी में जो इंसानी जज़्बातों को को छू जाने वाले अशआर जो जौन एलिया ने कहे हैं इसकी दूसरी मिसाल कहीं नहीं मिलती है!
जौन की शायरियों में और शायरी कहने के एक अंदाज़ ने उनको लोगों के दिल से जोड़ दिया, उनमें जो एक झुंझलाहट दिखाई पड़ती है एक दर्द दिखाई पड़ता है उसने लोगों को अपना दीवाना बना कर रख दिया है!
जौन एलिया के बारे में एक बात यह भी कही जाती है मौत के बाद उनको उनके हक़ की शोहरत मिली और कई हद तक यह बात सच भी मालूम होती है, क्योंकि इंटरनेट पर सबसे ज़्यादा पढ़े और खोजे जाने वाले शायर जौन एलिया हैं और लगातार इनके चाहने वालों की गिनती कई गुना तेज़ी से बढ़ती जा रही है, जौन से लोगों को एक अलग तरह का प्यार है!
तो यह बात बिल्कुल सही है कि जौन मरने के बाद कहीं ज़्यादा लोकप्रिय हुए हैं!
जौन के कुछ बेहतरीन शेर -
1. अब मिरी कोई ज़िंदगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या
Ab meri koi zindgi hi nahi
Ab bhi tum meri zindagi ho kya
2. नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
Naya ik rishta paida kyoo kren hum
Bichadana hai to jhagda kyo kren hum
3. मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
Main bhi bahut hoo itna ajeeb hoo ki bas
Khud ko tabaah kar liya aur malaal bhi nahi
4. जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
Jo guzari na jaa saki hamse
Ham ne vo zindagi guzaari hai
5. और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं
Aur to kya tha bechne ke liye
Apni ankho ke khwab benche hain
6. अपने सब यार काम कर रहे हैं
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं
Apne sab yaar kaam kar rahe hain
Aur ham hai ki naam kar rahe hain
7. काम की बात मैं ने की ही नहीं
ये मिरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं
Kaam ki baat maine ki hi nahi
Ye mera taur e zindagi hi nahi
8. कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
Kitne aish se rahte honge kitne itraate honge
Jaane kaise log vo honge jo usko bhaate honge
9. क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं
Kya takalluf kare ye kahne me
Jo bhi khush hai ham usse jalte hain
10. हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो तुम
तुम्हारी ही तमन्ना क्यूँ करें हम
Hamari hi tamanna kyoo karo tum
Tumhaari hi tamanna kyoo kare ham
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